जब बहनें अपने घर जाती चुपके आँखो से नीर बहाता, वह भाई कहलाता। जब बहनें अपने घर जाती चुपके आँखो से नीर बहाता, वह भाई कहलाता।
मनचाहा सा सब पा लेना न अपने पराये का जिक्र मनचाहा सा सब पा लेना न अपने पराये का जिक्र
सूरज तू कितना भी इतराये तुझे तो रोज ढलना ही है। सूरज तू कितना भी इतराये तुझे तो रोज ढलना ही है।
संघी या मय या घृणा से संघी या मय या घृणा से
जब घर से निकलते हैं तो एक अलग रूप में ढल जाते हैं दोस्तों के सामने कुछ और दुश्मनो जब घर से निकलते हैं तो एक अलग रूप में ढल जाते हैं दोस्तों के सामने कुछ ...
जात-पात और ज्ञान-मान का मत करना अभिमान। मानव जात है इंसान धर्म की चाहे पढ़ ले गीता जात-पात और ज्ञान-मान का मत करना अभिमान। मानव जात है इंसान धर्म की चाहे ...